एमपी: हिंसक प्रदर्शन में 5 किसानों की मौत ,कर्फ्यू लगा


इंदौर-किसान आंदोलन में हिंसा का दौर थम नहीं रहा है। मंगलवार को मंदसौर में आंदोलनकारियों ने 8 ट्रक और 2 बाइक को आग के हवाले कर दिया। पुलिस और सीआरपीएफ पर पथराव भी किया। हालत पर काबू पाने के लिए सीआरपीएफ की फायरिंग में 5 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। एमपी के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार देश के किसानों के साथ जंग लड़ रही है। बता दें कि किसान कर्ज माफी समेत कई मांगें कर रहे हैं। एक धड़े का सरकार से समझौता हो चुका है लेकिन इसके बावजूद हिंसा जारी है। रतलाम में रविवार को पथराव में एक एसआई की आंख फूट गई थी।

मंगलवार को मंदसौर-नीमच रोड पर करीब एक हजार किसानों ने चक्काजाम कर दिया। इसके बाद 8 ट्रकों और 2 बाइकों में आग लगा दी। पुलिस और सीआरपीएफ ने हालात संभालने की कोशिश की। लेकिन, भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद फायरिंग की गई। इसमें दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो घायल हुए।
- मारे गए लोगों के नाम कन्हैयालाल पाटीदार निवासी चिलोद पिपलिया, बंटी पाटीदार निवासी टकरावद, चैनाराम पाटीदार निवासी नयाखेडा, अभिषेक पाटीदार बरखेडापंथ और सत्यनारायण पाटीदार बरखेडापंथ हैं।
- मंदसौर में सोमवार से ही इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। फायरिंग के बाद जिला कलेक्टर ने पहले धारा 144 लगाई और इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया। 
दसौर की घटना पर शिवराजसिंह चौहान ने ज्युडिशियल इन्क्वॉयरी के ऑर्डर दिए हैं। होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह ने कहा- छह दिन से आंदोलन को उग्र करने की साजिश हो रही है। पुलिस धैर्य से काम ले रही थी। असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने के ऑर्डर दिए गए हैं।
- सीएम ने किया मारे गए लोगों की फैमिली को 5-5 लाख और घायलों को एक लाख रुपए की मदद का एलान किया है।

किसानों की सरकार से क्या मांगें
- किसान सेना के संयोजक केदार पटेल और जगदीश रावलिया के मुताबिक- किसानों ने मप्र सरकार को 32 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था। इन पर सोमवार को सीएम से चर्चा हुई थी। उन्होंने इसमें से कुछ मांगे स्वीकार कर ली थीं। पटेल के अनुसार की मुख्य मांगे ये हैं
- मप्र सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने पर मुआवजे की धारा 34 को हटा दिया था और भूअर्जन केस में किसानों ने कोर्ट जाने का अधिकार वापस ले लिया था। किसान विरोधी इस कानून को हटाना किसानों की पहली मांग है। 

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