बिल्डर की बेटी लाखो की नौकरी छोड़ भारत आई कुछ खास करने ,चारो ओर हो रही प्रशंसा


कहते है दृण  इच्छा शक्ति और मजबूत इरादे जिसके  पास  है तो कोई भी सीमा  आपको रोक नहीं सकती है  क्यों की मानवता   देश ,समाज  और स्वार्थ की सीमाओं से परे है तुर्की  की रहने वाली जुलेहा  की कहानी भी कुछ  ऐसी ही है !

जिसने मानवता की खातिर 7000 कि.मी।  की दूरी तक  का सफर तय कर  लिया!
तुर्की की रहने वाली जुलेहा  पिछले तीन सालो से राजस्थान के कोटा शहर में  मानसिक रूप से कमजोर बच्चो के जीवन को संवारने में लगी हुई है !

जुलेहा तुर्की के अंकारा शहर में 12 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर नौकरी करती थीं। उनके पिता बड़े बिल्डर हैं और भाई कनाडा में इंजीनियर है।

फेसबुक फ्रेंड कलाकार सर्वेश हाड़ा ने चैटिंग के दौरान जुलेहा को यहां के मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के बारे में बताया था।

- इसकी शरुआत करीब ढाई साल पहले हुई थी। जुलेहा अनूठी कलाओं को खोजती-खोजती कोटा के कलाकार सर्वेश हाडा के फेसबुक पेज पर पहुंची। फिर धीरे-धीरे दोस्ती हो गई।

- जुलेहा तुर्की में रिहैबिलिटेशन सेंटर में काम करती थीं। कोटा में सर्वेश भी मानसिक रूप से कमजोर बच्चों पर काम कर रहे थे। यहां बच्चों की गाइड़ेंस का कोई इंतजाम नहीं था। सर्वेश ने जब ये बात जुलेहा को बताई तो वह भारत आ गईं।

- 2015 में भारत आकर जुलेहा ने सर्वेश से शादी कर ली। इसके बाद से ही वह जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की देखभाल कर उनकी जिंदगी आसान बनाने में जुटी हैं।


जिंदगी भर करूंगी सेवा

'जर्नी ऑफ बुक' के वीजा से शुरू हुई इस नई जिंदगी को अब बच्चों के लिए लगा दिया है। यहां करीब 800 मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं। उनके पुनर्वास का कोई इंतजाम नहीं है। इसी कमी को खत्म करना है।



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