प्रतीकात्मक चित्र
शिवपुरी। समाजसेवा अपने आपमें एक पुण्य का कार्य है। जरूरतमंद, असहाय और निर्धन वर्ग की सेवा करना परोपकारी कार्य माना जाता है। इसी समाजसेवा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए किसी ने समाजिक संगठनों का गठन कर एक महत्वपूर्ण पहल की होगी, लेकिन आज के दौर में समासेवा राजनीति में अपने कैरियर की शुरूआत करना और फोटो सेशन कराने तक ही समिति रह गया है। कुछेक सामाजिक संगठनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सामाजिक संगठन चाहे वह महिलाओं का संठगन हो या फिर पुरुषों सिर्फ फोटो सेशन कराकर अखबारों की सुर्खियों बनने तक सीमित रहता है। ऐसा ही कुछ आज रोटरी क्लब द्वारा आदिवासी बस्ती मदकपुरा में आयोजित मेगा मेडीकल स्वास्थ्य शिविर के दौरान देखने को मिला। शिविर में आने वाले मरीजों के लिए कोई उचित व्यवस्थाएं देखने को नहीं मिलीं। शिविर में सैंकड़ों की संख्या में लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए आए, लेकिन शिविर में एकाध ही डॉक्टर थे जो मरीजों को देख रहे थे। यहां सोचनीय पहलू यह है कि क्या एक डॉक्टर इन सैंकड़ों मरीजों का कैसा उपचार दे सकता है। कुल मिलाकर सिर्फ मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देना तो बहना है सिर्फ औपचारिकताएं ही पूर्ण की जाती हैं और इन शिविरों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों का केवल एक ही उद्देश्य रहता है अखबारों की सुर्खियां बनना।
बॉक्स
हाथ थामा झाडू और करा लिया फोटो सेशन
आज इसी शिविर के दौरान इनर व्हील क्लब की महिलाओं द्वारा अपन बैनर टांगकर और हाथ में झाडू थाम लिया और कंकड़ों में झाडू को इधर से घुमाया और उधर से घुमाकर रख दिया, इसके बाद फोटो सेशन करा लिया। इन संगठनों द्वारा झाडू लगाने के लिए पहले से ऐसी जगह चिन्हित की जाती है जहां पर कोई गंदगी न हो और न किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े, बस आसानी से फोटो सेशन करा सकें।
सामाजिक कार्यों से अधिक होती है मौज मस्ती
सूत्रों की मानें तो इन सामाजिक संगठनों में चंदा इकट्ठा कर लिया जाता है और इस चंदे का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों में कम, बल्कि मौज मस्ती में अधिक किया जाता है। कुछ संगठनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश संगठनों द्वारा सिर्फ होटल, रेस्टोरेंटों आदि में बैठकों और कार्य की रूपरेखा के नाम पर सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध किया जाता है और इसका फोटो खींचकर अखबारों के लिए प्रेसनोट जारी कर दिया जाता है। कुल मिलाकर इनका उद्देश्य समाज की सेवा कम अपनी सेवा ज्यादा करना ही है।
अपनी पब्लिसिटी के लिए जाते हैं डॉक्टर
अपुष्ट सूत्रों की मानें तो अधिकांश स्वास्थ्य शिविरों में डॉक्टर सिर्फ इसलिए जाते हैं जिससे की उनकी खुद की पब्लिसिटी हो जिसके माध्यम से उनकी दुकानें संचालित हो सकें। इन स्वास्थ्य शिविरों में डॉक्टरों द्वारा सिर्फ औपचारिकताएं पूर्ण की जाती हैं इसके अलावा वास्तविक इलाज के लिए तो ये शिविर में आने वाले मरीजों को अपनी क्लीनिक पर आने की सलाह देते हैं और इनका तर्क रहता है कि समय के अभाव में यहां पूरा इलाज संभव नहीं है इसके लिए तो आपको क्लीनिक पर ही आना पड़ेगा।
शिवपुरी। समाजसेवा अपने आपमें एक पुण्य का कार्य है। जरूरतमंद, असहाय और निर्धन वर्ग की सेवा करना परोपकारी कार्य माना जाता है। इसी समाजसेवा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए किसी ने समाजिक संगठनों का गठन कर एक महत्वपूर्ण पहल की होगी, लेकिन आज के दौर में समासेवा राजनीति में अपने कैरियर की शुरूआत करना और फोटो सेशन कराने तक ही समिति रह गया है। कुछेक सामाजिक संगठनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सामाजिक संगठन चाहे वह महिलाओं का संठगन हो या फिर पुरुषों सिर्फ फोटो सेशन कराकर अखबारों की सुर्खियों बनने तक सीमित रहता है। ऐसा ही कुछ आज रोटरी क्लब द्वारा आदिवासी बस्ती मदकपुरा में आयोजित मेगा मेडीकल स्वास्थ्य शिविर के दौरान देखने को मिला। शिविर में आने वाले मरीजों के लिए कोई उचित व्यवस्थाएं देखने को नहीं मिलीं। शिविर में सैंकड़ों की संख्या में लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए आए, लेकिन शिविर में एकाध ही डॉक्टर थे जो मरीजों को देख रहे थे। यहां सोचनीय पहलू यह है कि क्या एक डॉक्टर इन सैंकड़ों मरीजों का कैसा उपचार दे सकता है। कुल मिलाकर सिर्फ मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देना तो बहना है सिर्फ औपचारिकताएं ही पूर्ण की जाती हैं और इन शिविरों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों का केवल एक ही उद्देश्य रहता है अखबारों की सुर्खियां बनना।
बॉक्स
हाथ थामा झाडू और करा लिया फोटो सेशन
आज इसी शिविर के दौरान इनर व्हील क्लब की महिलाओं द्वारा अपन बैनर टांगकर और हाथ में झाडू थाम लिया और कंकड़ों में झाडू को इधर से घुमाया और उधर से घुमाकर रख दिया, इसके बाद फोटो सेशन करा लिया। इन संगठनों द्वारा झाडू लगाने के लिए पहले से ऐसी जगह चिन्हित की जाती है जहां पर कोई गंदगी न हो और न किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े, बस आसानी से फोटो सेशन करा सकें।
सामाजिक कार्यों से अधिक होती है मौज मस्ती
सूत्रों की मानें तो इन सामाजिक संगठनों में चंदा इकट्ठा कर लिया जाता है और इस चंदे का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों में कम, बल्कि मौज मस्ती में अधिक किया जाता है। कुछ संगठनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश संगठनों द्वारा सिर्फ होटल, रेस्टोरेंटों आदि में बैठकों और कार्य की रूपरेखा के नाम पर सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध किया जाता है और इसका फोटो खींचकर अखबारों के लिए प्रेसनोट जारी कर दिया जाता है। कुल मिलाकर इनका उद्देश्य समाज की सेवा कम अपनी सेवा ज्यादा करना ही है।
अपनी पब्लिसिटी के लिए जाते हैं डॉक्टर
अपुष्ट सूत्रों की मानें तो अधिकांश स्वास्थ्य शिविरों में डॉक्टर सिर्फ इसलिए जाते हैं जिससे की उनकी खुद की पब्लिसिटी हो जिसके माध्यम से उनकी दुकानें संचालित हो सकें। इन स्वास्थ्य शिविरों में डॉक्टरों द्वारा सिर्फ औपचारिकताएं पूर्ण की जाती हैं इसके अलावा वास्तविक इलाज के लिए तो ये शिविर में आने वाले मरीजों को अपनी क्लीनिक पर आने की सलाह देते हैं और इनका तर्क रहता है कि समय के अभाव में यहां पूरा इलाज संभव नहीं है इसके लिए तो आपको क्लीनिक पर ही आना पड़ेगा।
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