सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक!
रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा राजनीतिक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. कोविंद के राष्ट्रपति बनते ही मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक स्तर को और भी बढ़ा दिया है,
जो बीजेपी पहले सिर्फ अगड़ी जाति की पार्टी मानी जाती थी अब उसका विस्तार देश की पिछड़ी जातियों तक भी पहुंचेगा. मोदी के इस मास्टरस्ट्रोक से उनके गरीब, दलित और पिछड़े लोगों को समाज में आगे लाने के वादे को भी बड़ा बल मिलेगा. इसके साथ ही मंडल से कमंडल की नीति को ध्यान में रखते हुए भी पुरानी ढांचागत जातीय राजनीति को भी पीछे छोड़ा.
जो बीजेपी पहले सिर्फ अगड़ी जाति की पार्टी मानी जाती थी अब उसका विस्तार देश की पिछड़ी जातियों तक भी पहुंचेगा. मोदी के इस मास्टरस्ट्रोक से उनके गरीब, दलित और पिछड़े लोगों को समाज में आगे लाने के वादे को भी बड़ा बल मिलेगा. इसके साथ ही मंडल से कमंडल की नीति को ध्यान में रखते हुए भी पुरानी ढांचागत जातीय राजनीति को भी पीछे छोड़ा.
हालांकि ये लड़ाई दलित बनाम दलित की ही थी, लेकिन मोदी का ये मास्टर स्ट्रोक 17 दलों के समर्थन वाली मीरा कुमार पर भी भारी पड़ा. भारत जैसे बड़े देश में जहां पर कई जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं, वहां पर पिछड़ी दलित जाति के व्यक्ति का राष्ट्रपति चुना जाना काफी बड़ी बात है. ये भारत में उसी तरह का बड़ा मोड़ है जिस प्रकार अमेरिका में 2008 में अफ्रो-अमेरिकन बराक ओबामा देश के राष्ट्रपति बने थे.
अब इस नतीजे के बाद देश के दो सबसे बड़े पद पर बीजेपी-आरएसएस से निकले हुए लोग ही बैठे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दोनों से ही BJP-RSS के बैकग्राउंड से हैं. वहीं उम्मीद की जा रही है कि उपराष्ट्रपति पद पर भी वेंकैया नायडू भी जीत सकते हैं, तो देश के बड़े तीन पदों पर भी बीजेपी-आरएसएस के लोग ही होंगे.
रामनाथ कोविंद को कुल वोट 10,98903 में से 702044 मिले थे जबकि मीरा कुमार को 367314 वोट मिले. राष्ट्रपति बनने के लिए कोविंद को 5,52,243 वोट चाहिए थे. कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग के कारण कोविंद की जीत का आंकड़ा बढ़ गया.