जब सिर्फ 1 वोट से सरकार गिरी, राजाओं की गद्दी गई...और हिटलर आ गया
इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जब महज एक वोट की हार से तख्तापलट हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी और सीपी जोशी...इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं। फ्रांस में तो एक वोट की जीत से ही राजतंत्र खत्म हुआ। वहीं, जर्मनी में एक वोट से ही जीतकर हिटलर नाजी दल का मुखिया बन गया था...
अटल बिहारी वाजपेयी, 13 महीने की सरकार गिरी
1999 : एआईएडीएमके के समर्थन वापस लेने के बाद वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव रखना पड़ा। विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े और सरकार गिर गई।
कांग्रेस नेता सीपी जोशी हार से सीएम नहीं बन पाए
2008 : राजस्थान विधानसभा के चुनाव में सीपी जोशी को 62,215 व कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले। तब जोशी सीएम के दावेदार थे। खास ये कि उनकी मां, पत्नी व ड्राइवर ने वोट नहीं डाला था।
विधायक बनने से चूक गए एआर कृष्णमूर्ति
2004 : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस के एआर कृष्णमूर्ति को 40,751 मत मिले और कांग्रेस के आर ध्रुवनारायण को 40,752। छुट्टी न देने के कारण उनका ड्राइवर वोट नहीं डाल पाया था।
फ्रांस में राजशाही खत्म और लोकतंत्र शुरू हुआ
1875 : फ्रांस में तो सत्ता का पूरा रूप ही बदल गया था। एक वोट की जीत से ही फ्रांस में राजशाही खत्म हुई और लोकतंत्र का आगाज हुआ। वरना वहां के लोग अब तक राजशाही ही ढो रहे होते।
अमेरिका की भाषा बदली वरना मातृभाषा जर्मन होती
1776 : अमेरिका को एक वोट की बदौलत ही जर्मन की जगह अंग्रेजी के रूप में उनकी मातृभाषा मिली थी। यहां 1910 में रिपब्लिक उम्मीदवार एक वोट से हार गया था और पार्टी मानो शोक में डूब गई थी।
एडोल्फ हिटलर, जर्मनी में नाजी दल का मुखिया बना
1923 : जर्मनी के लोगों से पूछिए एक वोट की ताकत क्या होती है, क्योंकि साल 1923 में एडोल्फ हिटलर एक वोट के अंतर की जीत से ही नाजी दल का मुखिया बना था।
रदरफाेर्ड बी हायेस अमेरिका के राष्ट्रपति बने
1876 : 19वें अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में रदरफोर्ड बी हायेस ने 185 वोट हासिल किए थे और सैमुअल टिलडेन ने 184। जबकि शुरुआती दौर में टिलडेन 2.5 लाख वोट से जीते थे।