### *डम-डम-डम*
✒ *#लावारिस_शहर -34*
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*👉 पानी के अभाव में कीचड़ से नहाती आवाम और तमाशबीन कर्णधार...!*
(✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 *(✒बृजेश तोमर✒)*✍🏻
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*👉 शिबपुरी का हाल एक नई त्रासदी की ओर बढ़ रहा है। भले बारिश का दौर है लेकिन शहर के नागरिक पानी के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं, और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हालिया प्रदर्शन में देखने को मिला, जहां लोग पानी की किल्लत के खिलाफ कीचड़ से नहाते हुए सड़कों पर उतरे।*
🌊 *क्या यह दृश्य किसी तमाशे से कम था? जनता ने अपनी पूरी तात्कालिकता और गुस्से के साथ प्रदर्शन किया, लेकिन हमारे कर्णधार सिर्फ तमाशबीन बने रहे। नगर पालिका और संबंधित विभाग पूरी तरह से नकारात्मकता की चादर में लिपटे हुए हैं, मानो वे इस आपदा से पूरी तरह बेखबर हैं।*
💧 *आवाम के सामने यह कड़वी सच्चाई है कि जब तक सरकारी तंत्र में सुधार नहीं होगा, तब तक पानी की किल्लत और अन्य समस्याएँ कम होने वाली नहीं हैं। मुनाफा और दिखावे के बीच शहर के मूलभूत मुद्दे लगातार अनदेखे हो रहे हैं। ऐसे में जनता की विवशता और आक्रोश स्वाभाविक है।*
📉 *हाल ही में हुए स्थानांतरण के बाद नगर पालिका के मुख्य पालक हाल ही में आये है जो स्थितियों को समझने का प्रयास कर रहे है लेकिन अधिकारियों कर्मचारियों के गठबंधन का कुनबा वही पुराना है..,जिसकी तानाशाही और लापरवाही ने जनता की स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। प्रदर्शनकारी नागरिकों के द्वारा कीचड़ से नहाने की तस्वीरें न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि यह इस बात की गहरी चिंता का विषय है कि हमारे शहर में मूलभूत आवश्यकताओं का स्तर कितना गिर चुका है।*
*🌟दशक भर पहले शुरू की गई मड़ीखेड़ा योजना अभी भी"पानी आया पानी आया,ओर लो गया...."के खेल की तरह बनी हुई है।मोहल्लों,कॉलोनियों में भरता पानी और गड्ढे शहर के प्राकृतीक सौंदर्य में चार चांद लगा रहे है। "तमाशा ही तमाशा" के इस माहौल में सुधार की कोई ठोस योजना हर साल की तरह इस साल भी तंत्र के पास नजर नहीं आती।*
*हुजूर,मजेदार बात तो यह भी है कि चुनाव के पहले बड़े बड़े एफिडेविड देने चुने हुये प्रतिनिधि भी अब तो जनहित के मुद्दों पर हांथ जोड़कर रबानगी डाल देते है। सोशल मीडिया पर तैरती यह तस्वीरें "मिनी शिमला शिबपुरी"की क्या ख्याति देश मे पहुचायेगी,यह विचारणीय है।यदि अब भी कर्णधारों की तंद्रा भंग नहीं हुई तो जनता की इस तरह की विरोध प्रदर्शन की अनगिनत तस्वीरें हमें और भी देखने को मिल सकती हैं।*
**शेष शुभ, अपने राम तो गाँधीजी के तीन बंदरो की भूमिका में रह नही पाते कि"बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो ओर बुरा मत कहो"सो बोल बैठते है. ...!*
"राम-राम पहुचे जी...!!*
*खुदा खैर करे...!!!*
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✒ *नाचीज- बृजेश सिंह तोमर*✒
(वरिष्ठ पत्रकार एवं समाज चिंतक)
*सम्पादक-www.khabaraajkalnews.com*
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