अवैध उत्खनन पर प्रशासनिक ढिलाई: पत्रकार पर हमला समाज की सुरक्षा पर सवाल


शिवपुरी। कोतवाली थाना क्षेत्र के फतेहपुर इलाके में अवैध उत्खनन प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद जारी है। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। शुक्रवार सुबह एक गंभीर घटना ने इस समस्या को और उजागर कर दिया।

पत्रकार पर हमला: निडर अपराधियों की हिम्मत

पत्रकार देवेंद्र समाधिया, जो अवैध उत्खनन की कवरेज के लिए मौके पर पहुंचे थे, को अवैध उत्खननकर्ता गजराज रावत और उसके साथी ने निशाना बनाया। पत्रकार के साथ मारपीट कर उनकी गाड़ी की चाबी और स्वेटर छीन ली गई। यह घटना केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि समाज में कानून के डर की कमी को भी दर्शाती है।

राजनीतिक संरक्षण पर सवाल

गजराज रावत का नाम पहले भी अवैध माइनिंग से जुड़े कई आपराधिक मामलों में आ चुका है। स्थानीय चर्चाओं के अनुसार, उसे कथित रूप से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। लेकिन यह संरक्षण किससे है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

प्रशासन की चुनौती

प्रशासन ने पूर्व में अवैध उत्खनन रोकने के लिए जिम्मेदारों पर मामले दर्ज किए थे, लेकिन उत्खननकर्ता दोबारा सक्रिय हो गए हैं। इससे साफ है कि प्रशासन की कार्रवाइयां उतनी प्रभावी नहीं हैं जितनी होनी चाहिए।

समाज की जिम्मेदारी और अपील

यह घटना केवल प्रशासन की विफलता को नहीं दर्शाती, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी की भी मांग करती है। अवैध उत्खनन पर्यावरण और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है। जरूरत है कि स्थानीय प्रशासन, समाज और पत्रकार मिलकर इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए कदम उठाएं।

प्रशासन को चाहिए कि वह अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। यह केवल पत्रकारों का मुद्दा नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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