"फोकट की राय -कॉलम-2 कुछ तो कहेंगे, लोगो का काम है कहना- बेबाक टिप्पणी -वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह तोमर

 


*👉कुछ तो लोग कहेंगे,लोगो का काम है कहना.....!!*

*👉"फोकट की राय - 2️⃣*

(✍️बृजेश सिंह तोमर✍️)


👉"कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना..." इस गाने की सच्चाई हर उस व्यक्ति को चुभती है, जो कुछ बेहतर करने की कोशिश में होता है।समाज के कुछ विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति त्वरित टांग खिंचाई अभियान को प्रारम्भ कर ही देते है।मजेदार बात यह भी है कि भले उस विषय विशेष या कार्य से उन व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तौर पर कुछ भी लेना देना न हो अथवा उस विषय के"हेतु"को जानने का प्रयास न किया हो किन्तु अपनी काबिलियत जगजाहिर करना ही है।"रायचन्द"की भूमिका में खींचतान उनका जन्मसिद्ध अधिकार बन जाती है।

सच कहें तो समाज का एक वर्ग जैसे टांग खींचने की ट्रेनिंग लेकर बैठा हो। आप कुछ भी कर लें ,कुछ अच्छा करने का प्रयास करें, किसी क्षेत्र में अपना  योगदान दें, या बस अपनी जिंदगी अपने अंदाज में भी जीने की कोशिश करें ,उनकी प्रतिक्रिया वही रहेगी सिर्फ"नकारात्मक"..!

इस विलक्षण प्रतिभा के जन्म का इतिहास टटोले तो हजारों साल पहले भी इसके वायरस इंसान में पाये गये।त्रेता युग के राम काल मे भी माता सीता की अग्नि परीक्षा के पीछे इसी प्रतिभा के लोग शामिल रहे।

लेकिन सवाल ये है कि ये लोग ऐसा क्यों करते हैं....?

असल में, ऐसे लोग अक्सर अपने भीतर असफलता, ईर्ष्या और अयोग्यता का बोझ लिए घूमते हैं। किसी और की तरक्की उन्हें अपनी कमियों का आईना दिखाती है। नतीजा, वे बेचारे दूसरों की सफलता को खींचकर अपनी असफलताओं का बोझ हल्का करना चाहते हैं।


🥹अब पुनः प्रश्न उठता है कि ऐसे में हमे करना क्या चाहिए..?क्या इनकी नकारात्मकता से हमें रुकना चाहिये ?

🤩उत्तर है,हरगिज़ नहीं...!जब टांग खिंचाई से किसी को सुखद अनुभूति होती है तो उसे प्रसन्न रखना हमारा नैतिक दायित्व तो है..!प्रभु कृपा तो है कि हम इस लायक बने कि किसी को खुशी दे पाए इसलिए निरन्तरता बनाये रखनी चाहिये।

★ हालांकि,मानव स्वभाव है,अक्सर हम सामने बाले की इस विधा को दिल पर ले लेते हैं। ये नकारात्मकता हमें विचलित करती है, हमारी ऊर्जा को खत्म करने लगती है। तो ऐसे में हमें यह समझने की जरूरत है कि इनकी राय आपके दृढ़निश्चय को बढ़ा रही है,इसे सकारात्मक रूप में समझे।इनकी आलोचना अक्सर आपकी काबिलियत का प्रमाण है अर्थात आप ठीक दिशा में है ये मंथन अवश्य करे..।

👉अब 'फोकट की राय' भी जरूरी है कि आखिर करे तो क्या....?जैसे सड़क पर भौंकते कुत्तों को अनदेखा कर आगे बढ़ते हैं, वैसे ही इन 'फोकटियों' को नजरअंदाज करें।अपनी ऊर्जा और ध्यान को अपने काम में लगाएं। आलोचना को फिल्टर करें।हर आलोचना गलत नहीं होती। रचनात्मक फीडबैक को अपनाएं, लेकिन बेबुनियाद टिप्पणियों को बाहर फेंक दें।अपनी सोच को मजबूत करें। "लोग क्या कहेंगे" का डर आपकी तरक्की की सबसे बड़ी रुकावट है। इसे अपनी सफलता की ढाल बनाइए।

"निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय"का अनुसरण कीजिये।यह आपको अपने कार्य मे पुनर्विचार का अवसर देते है।यदि आप ठीक है तो कान बंद कीजिये, इनका धन्यवाद कीजिये और हांथी सी मस्ती में चलते रहिए..!भोकने से इनकी वर्जिश होने दीजिए..!


💫अंत में"लोगों का काम है कहना, और आपका काम है आगे बढ़ना" सो यह सनद रहे कि जो लोग पीछे खड़े हैं, वही खींच सकते हैं।जो साथ चल रहे हैं, वे प्रेरित करेंगे। इसलिए, इन 'फोकट की राय' देने वालों को उनकी जगह दीजिए और अपनी जगह अर्थात सफलता की ओर बढ़ते जाइए....।

🚩राम राम जी.....🚩


(🙏 #अनुरोध- समाज मे व्याप्त प्रवर्ति पर कृपया अपनी राय प्रकट करे ताकि विषय के मर्म का विस्तार व मंथन हो सके ओर ।कोशिश है कि विषय के मंथन से निकलने बाला "मक्खन"यदि किसी एक के विचारों को भी परिवर्तित कर पाया तो यह कॉलम *✍️"फोकट की राय....*"लिखना सफल होगा। प्रतिक्रिया का इंतज़ार....! 

*✍️बृजेश सिंह तोमर*)

    (वरिष्ठ पत्रकार,चिंतक)

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✍️✍️✍️✍️✍️✍️

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