★-----(✍️बृजेश तोमर)----★
👇👇👇👇👇👇👇
👉खबरीलाल जी बड़े बेचैन से छत पर हाथ पीछे बांधकर चहलकदमी कर रहे थे और कभी-कभी रुककर नीचे झांक भी लेते थे, जैसे कुछ खास देखने की कोशिश कर रहे हों। हमे निकलता देख अचानक चीख बैठे,बोले"पता है, आजकल राजनीति में अजब-गजब तमाशा हो रहा है! खालिश"कमलची" खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं ओर पंजे बाले भाजपाइयों के पांव जमीन पर ही नही टिक रहे..! कोई कमलदल में कुम्भ स्नान कर रहा है, तो कोई पदों की फेहरिस्त में राजयोगी की तरह आसन पर बैठने की जुगत में है!"
खबरीलाल जी ने अपने कनटोप को सीधा कर रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा-
"देखो भाई, झंडा-डंडा उठाने वाले असली भाजपाई तो अब खड़े खड़े ताक रहे हैं, और गले में माला डलवा कर वे लोग मलाई खा रहे है जिन्होंने न तो कभी पार्टी की विचारधारा समझी और न ही उसमें कोई योगदान दिया! ये वही लोग हैं जो कल तक उधर थे, आज इधर हैं..?अब ये कल किधर होंगे, ये खुद भी नहीं जानते...!"तमाम चिन्दी चोर तो ऐसे भी प्रकट हो गये है जिनका कोई वजूद ही नही था लेकिन आकाओं की पूँछ पकड़कर खुद को ऐसा महिमामण्डित कर लिया कि सरकारी तंत्र भी सलाम ठोकने लगा।और तो ओर हुकुम के कुछ भले पहरुओं के इर्द गिर्द मडराकार ये उनको भी बेचने से गुरेज नही कर रहे।
हम सोच रहे थे कि बात तो सही है! कल तक जो सत्ता के किसी और खेमे में बैठकर भाजपा को पानी पी-पीकर कोस रहे थे, वे अब कमल के फूल पर मंडरा रहे हैं और असली भाजपाई खड़े-खड़े देखते रह गए कि उनके लिए कुर्सियां ही नहीं बचीं!
खबरीलाल अब पूरे रंग में आ चुके थे। बोले—
"कभी सोचा है कि ये लोग कल तक विरोध में तर्कों के तीर चला रहे थे, आज तिलक लगाकर स्वागत समारोह में खड़े हैं? और बेचारे पुराने सिपाही, जिन्होंने झंडे डंडे उठाने से लेकर ज़मीन पर दरी बिछाई, सोशल मीडिया तक पार्टी के लिए लड़ाई लड़ी, वे किनारे धकेले जा रहे हैं! भाई, इतना बड़ा बदलाव तो मौसम भी नहीं लाता जितना राजनीति में आ गया है!"
अब खबरीलाल थोड़ा गंभीर हुए। बोले—"समझने की बात ये है कि जब तक पार्टी अपने असली सिपाहियों को पहचानने में गलती करेगी, तब तक ऐसे मौकापरस्त आते रहेंगे और सत्ता की लुटिया डुबोते रहेंगे! कल तक जो खिलाफ थे, आज पाला बदलकर सबसे बड़े रणनीतिकार बन गए हैं! बहरूपिये इस कदर है कि गाहे बजाहे अपना टेसू गडा ही लेते है।"अवैध गोरखधंधों"की फेहरिस्त के ये हुक्मरान बन बैठे है।सोचने वाली बात है कि क्या हुकुम को इन पर इतना भरोसा करना चाहिए...?अरे इन गिरगिटियो ने तो पहले भी लुटिया डुबो दी थी..!"
खबरीलाल ने एक लंबी सांस ली और आखिरी तंज कसा—
"राजनीति में कोई स्थायी नहीं होता, लेकिन कम से कम भरोसा तो स्थायी रहना चाहिए! मगर यहां तो हाल ये है कि पुराने कर्मठ कार्यकर्ता भीड़ में पीछे खड़े हैं और मौकापरस्त "हुकुम" के इर्द गिर्द रहकर चेहरे भुनाकर मालामाल हो रहे हैं! अब ये देखना दिलचस्प होगा कि हुकुम वफादारी को पुरस्कृत करेंगे या मौकापरस्तों को गले लगाये रहेंगे...!अरे ये तो वही है कि"जिधर से गिरा बम,उधर खड़े हम...!
खबरीलाल इतना कहकर फिर से छत की मुंडेर पर जाकर खड़े हो गए, शायद कोई नया तमाशा देखने के लिए...!
हम उनके अंदाज को देखकर "वाह-वाह "के साथ उन्हें जाता हुआ देख रहे थे और सोच रहे थे कि "वाकई,कमाल की चीज है खबरीलाल जी...!!!"👍
🔍✍️✍️✍️👆✍️✍️🔍
🙏👉 कृपया *"खबरीलाल की खबर"* पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे।अगले अंक में ओर भी मजेदार ओर चुटीली खबरों के साथ मिलेंगे..!🙏🙏
*(✍️बृजेश सिंह तोमर)*
www.khabaraajkalnews. com
*📲7999881392*
*📲9425488524*
✍️✍️✍️✍️शेष फिर..✍️